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तीज पर सुहागन महिलाएं क्यों करती है सोलह श्रृंगार? जानें विशेष महत्व

अखंड सौभाग्य का त्योहार 'तीज' यानी 'हरितालिका तीज' पर महिलाएं सोलह श्रृंगार करती हैं. 

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 यह हिंदू धर्म के त्योहारों में सबसे कठीन पर्व में से एक है. 

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इस दिन सुहागन महिलाएं 24 घंटे का निर्जला व्रत रखती हैं और अपने पति की लंबी उम्र और खुशहाल जीवन का कामना करती है. 

हरितालिका तीज पर सुहागन महिलाएं माता पार्वती और भगवान शिव की पूजी करती है.

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इस दिन सुहागन महिलाएं सोलह श्रृंगार करती है और ये परंपरा सदियों से चला आ रहा है.

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ऐसे में जानते हैं कि तीज के दिन क्यों सुहागन महिलाएं करती है सोलह श्रृंगार?

बता दें कि सोलह श्रृंगार का हिंदू धर्म में खास महत्व होता है और इसे करने से विशेष फल मिलता है.

सोलह श्रृंगार करने से वैवाहिक जीवन सुखमय बना रहता है.

मान्यताओं के अनुसार, सोलह श्रृंगार करने से खुशी, समृद्धि और वैवाहिक जीवन की सामंजस्य बना रहता है.

साथ ही इससे सदा सुहागन का आशीर्वाद मिलता है.

सोलह श्रृंगार में बिंदी, सिंदूर, मंगलसूत्र, चुड़ियां, मांगटीका, काजल, मेंहदी, नथ यानी नथनी, हार, बिछिया, पायल, कमरबंध,अंगूठी, बाजूबंद, कुंडल या झुमके, गजरा शामिल है.

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दरअसल, सिंदूर विवाहित महिला के सुहाग की निशानी है. 

मेंहदी से शुभता बनी रहती है.

माथे पर बिंदी लगाने से वैवाहिक जीवन सुखमय रहता है.

महिलाएं सोलह श्रंगार में चुड़ियां भी पहनती है.इसके पहनने से पति की आयु बढ़ती है.

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