(फोटो-इंस्टाग्राम, कंटेंट- प्रिया शर्मा)

करोड़ों का महल, चांदी की ट्रेन और रईसी ठाठ... माधवी राजे सिंधिया का ऐसा है जय विलास पैलेस

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जब भी देश के राजघरानों के नाम लिए जाते हैं, तो सबसे पहले सिंधिया राजघराने का नाम आता है. 

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 राजमाता माधवी राजे सिंधिया 15 मई को दिल्ली में आखिरी सांस लीं.

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माधवी राजे सिंधिया साल 1966 में माधवराव सिंधिया की पत्नी और ग्वालियर राजघराने की बहू बनकर आईं थी. 

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राजनीति और चमक दमक से दूर रहने वालीं राजमाता सिंधिया रॉयल लाइफ जीती थीं.

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माधवी राजे ग्वालियर स्थित 400 कमरे वाले जय विलास पैलेस में रहती थीं. 

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जय विलास पैलेस की कीमत 45,000 करोड़ रुपये से अधिक है. 

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1874 में ग्वालियर रियासत के महाराज जीवाजी राव सिंधिया ने जय विलास पैलेस को बनवाया था. 

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यूरोपीय वास्तुकला पर आधारित जय विलास महल का डिजाइन फ्रांसीसी आर्किटेक्ट ने तैयार किया था. 

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विलास पैलेस तीन मंजिला है. पहली मंजिल तस्कीन शैली पर बनाई गई है. 

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दूसरी इतालवी डोरिक और तीसरी मंजिल को कोरोथियन शैली पर तैयार किया गया है. 

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जय विलास पैलेस में फारसी और इटालियन मार्बल लगाया गया है. 

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जय विलास पैलेस के दरबाजों पर सोने के गिल्ट लगे हुए हैं.

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ग्वालियर का जय विलास पैलेस करीब 150 साल पुराना है और इसे बनवाने में 12 साल का समय लगा था. 

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सबसे ज्यादा खूबसूरत जय विलास पैलेस की दूसरी मंजिल पर बना दरबार हॉल है. इसे हीरे, सोना और चांदी से सजाया गया है.

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महल के अंदर लगे झूमर का वजन 3300 किलो है. 

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वहीं दरबार हॉल में मेहमानों को चांदी की ट्रेन से खाना परोसा जाता है. यहां एक साथ 100 से अधिक लोग बैठकर खाना खा सकते हैं.

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