(Photo/Content- Vikas Tiwari, Ambu Sharma) 

दुनिया की सबसे अनोखी अदालत , जहां भगवान को भी मिलती है 'मौत की सजा'

छत्तीसगढ़ में एक इलाका ऐसा है जहां जुर्म करने पर इंसानों को तो छोड़िए देवताओं को भी सजा देने की परंपरा है.ये सजा 'मौत की सजा' तक हो सकती है. 

क्षेत्र के ग्रामीण अपने पारंपरिक रीति-रिवाजों और धार्मिक आस्थाओं को न्यायिक प्रणाली के साथ अद्वितीय तरीके से जोड़ते हैं. 

यहां की जन जातियां अपनी हर समस्या के समाधान के लिए देवी-देवताओं की चौखट पर सिर  झुकाती हैं. 

अपने देवताओं पर असीम आस्था रखती हैं. सदियों से, किसी भी प्राकृतिक विपदा, बीमारी या फसल खराब होने पर लोग ग्राम देवताओं की शरण में जाते हैं. 

परंपरा का एक और अनूठा पहलू है कि अगर उनके अनुसार देवी-देवता उनकी मदद नहीं करते, तो यहां की जन अदालत उन्हें भी दोषी ठहरा देती है. 

बस्तर के कोंडागांव का इलाका है, यहां साल में एक बार दुनिया की सबसे अनोखी अदालत बैठती है.

 भंगाराम देवी के मंदिर लगने वाली इस अदालत में मुजरिम के तौर स्थानीय देवी-देवता पर पेश होते हैं. 

भंगाराम देवी खुद जज की भूमिका निभाती हैं. मन्नतें पूरी न होने पर लोग देवताओं की शिकायत करते हैं .

दोनों पक्ष अपनी बात रखते हैं. देवताओं के प्रतिनिधि भी शामिल होते हैं. 


इस अदालत में "मुर्गियां"  गवाही देती हैं. 


बरी देवी-देवताओं की मूर्तियां फिर स्थापित होती हैं और दोषी देवताओं की मूर्तियां हटा दी जाती हैं, यही उनकी 'मौत की सजा' होती है. 


देवताओं को खुली जेल में कैद किया जाता है. सजा मिलने के बाद देवता अपील भी कर सकते हैं. 

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