घने बांस के जंगल में अपने 40 लड़ाकों के साथ छुपा बैठा था बसवराजू
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बसवराजू के दो स्पेशल गार्ड के समर्पण के बाद लोकेशन पहुंच गई पुलिस के पास
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20 दिनों से बसवराजू और उसके साथी किल्लेकोट के पहाड़ों पर थे मौजूद
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किल्लेकोट पहाड़ के नीचे बसा गांव गुंडेकोट से बसवराजू की टीम को मिल रहा था रसद
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जर्नल सेक्रेट्री बसवराजू की टीम के पास हथियार तो थे, लेकिन कारतूसों की भारी कमी थी
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फोर्स और माओवादी जब पहाड़ पर आमने-सामने हुए, तो पहली गोली माओवादियों ने चलाई और जवान शहीद हुआ
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गुंडेकोट गांव में महज 15 परिवार, यहां आज तक सरकार की कोई योजना नहीं
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ग्रामीणों ने कहा, हमने नारायणपुर नहीं देखा, ओरछा पैदल जाते हैं सिर्फ राशन लेने
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