(फोटो-istock,कंटेंट- अंबु शर्मा )
लोकसभा चुनाव के पहले इलेक्टोरल बॉन्ड का मुद्दा देश में काफी गरमाया हुआ है. आइए जानते हैं क्या है इलेक्टोरल बांड ?
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इलेक्टोरल बॉन्ड राजनीतिक दलों को चंदा देने का एक वित्तीय ज़रिया है.
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भारत का कोई भी नागरिक या कंपनी भारतीय स्टेट बैंक की चुनिंदा शाखाओं से ख़रीद सकता है और अपनी पसंद के किसी भी राजनीतिक दल को गुमनाम तरीक़े से दान कर सकता है.
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योजना की घोषणा 2017 में हुई थी. इस योजना को सरकार ने 29 जनवरी 2018 को कानून के रूप में लागू कर दिया था.
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इसके तहत भारतीय स्टेट बैंक राजनीतिक दलों को पैसे देने के लिए बॉन्ड जारी करने का अधिकार मिला था.
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उन्हीं पार्टियों को फंडिंग की जा सकती थी जिन्हें लोकसभा या विधानसभा के लिए पिछले चुनाव में डाले गए वोटों का कम से कम 1% वोट मिला होता था.
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स्टेट बैंक की निर्दिष्ट शाखाओं से 1,000 रुपये, 10,000 रुपये, एक लाख रुपये, दस लाख रुपये और एक करोड़ रुपये में से किसी भी मूल्य के बॉन्ड ख़रीदे जा सकते हैं.
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चुनावी बॉन्ड जनवरी, अप्रैल, जुलाई और अक्टूबर के महीनों में 10 दिनों की अवधि के लिए ख़रीद के लिए उपलब्ध कराए जाते हैं.
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लोकसभा चुनाव के वर्ष में केंद्र सरकार द्वारा अधिसूचित 30 दिनों की अतिरिक्त अवधि के दौरान भी जारी किया जा सकता है.