(फोटो क्रेडिट-एक्स, कंटेंट क्रेडिट- प्रिया शर्मा)
सावन के महीने में क्यों निकाली जाती है कांवड़ यात्रा? जानें वजह
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22 जुलाई से सावन का महीना शुरू हो रहा है.
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सावन के महीने में शिव भक्त केसरिया रंग के वस्त्र पहनकर कांवड़ यात्रा निकालते हैं.
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भक्त कांवड़ में गंगा नदी का पवित्र जल भरते हैं और भगवान शिव को जलाभिषेक करते हैं.
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मान्यताओं के अनुसार, पहली कांवड़ यात्रा भगवान परशुराम ने निकाली थी. भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए परशुराम ने गढ़मुक्तेश्वर से गंगाजल ले जाकर भगवान शिव का जलाभिषेक किया था.
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वहीं त्रेता युग में कांवड़ यात्रा की शुरुआत श्रवण कुमार ने की थी.
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श्रवण कुमार ने अपने अंधे माता-पिता को कांवड़ में बिठाकर पैदल यात्रा की थी.
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लंकापति रावण से भी कांवड़ यात्रा को जोड़ा जाता है.
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समुद्र मंथन के दौरान विष पीने के बाद भगवान शिव का गला जलने लगा था.
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इस दौरान रावण ने कांवड़ से जल लाकर भगवान शिव का अभिषेक किया, जिससे भोलेनाथ को विष के प्रभाव से मुक्ति मिली थी.
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